ओ बंदेया, ओ बंदेया (x3)
तेरी मंज़िलें, हुई गुमशुदा
फिर भी रास्ता है तेरा मेहरमा
ओ मीर-ए-कारवां
तेरी राहों पे रवां
के मेरे नसीबों में, हो कोई तो दुआ
ओ मीर-ए-कारवां
ले चल मुझे वहाँ
ये रात बने जहां सुबह
मीर-ए-कारवां
ओ मीर-ए-कारवां
ओ बस कर दिल अब,
बस कर भी (x2)
उस राह मुझे जाना ही नहीं
पल दो पल का साथ सफर, फिर होगी जुदा रहगुज़र
नदिया थाम के जो बहते रहें
मिलते है वो किनारे कहां …
ओ मीर-ए-कारवां
तेरी राहों पे रवां
के मेरे नसीबों में, हो कोई तो दुआ
ओ मीर-ए-कारवां
ले चल मुझे वहाँ
ये रात बने जहां सुबह
मीर-ए-कारवां
ओ मीर-ए-कारवां
बहार क्यू तेरे दर ना आती
है क्या भरम जो नज़र दिखती
अब और कितनी ये रात बाकी
है रात बाकी, ये रात बाकी
निग़ल ना जाए मुझे ये साये
गले में घुटती हैं सर्द आंहें
बता ओ बंदे क्यू मात खाये
क्यू मात खाये
हां, लागे ना दिल अब, लागे नहीं (x2)
मेरे पैरों तले निकली जो ज़मीं
इस बस्ती मे था मेरा घर
उसे किसकी लगी फिर नज़र
वो जो सपनों का था काफिला
ऐसा झुलसा की अब है धुआं
ओ मीर-ए-कारवां
तेरी राहों पे रवां
के मेरे नसीबों में, हो कोई तो दुआ
ओ मीर-ए-कारवां
ले चल मुझे वहाँ
ये रात बने जहां सुबह
मीर-ए-कारवां
ओ मीर-ए-कारवां
चल अकेला राही
चल चल अकेला राही
हाफ़िज़ तेरा इलाही
हाफ़िज़ तेरा इलाही
–
रोचक कोहली
(लखनऊ सेंट्रल)
Aug 2017